Description
ललिता सहस्रनाम
भाषा टीका
कुण्डलिनी संकेत विद्या
ललिता पंचकम व ललिता चालीसा
टीकाकार : महामहिम पं. कुलपति मिश्र
माँ ललिता सौन्दर्य, अनुग्रह और आनन्द की साक्षात मूर्ति हैं। उनमें अगाध श्रद्धा और निष्ठा रखने वाले में भी ये गुण स्वभावतः ही आ जाते हैं। माँ ललिता का भक्त सदैव प्रसन्न रहता है अपने चारों ओर के वातावरण को भी उन्मुक्त हास्य एवं आनन्द से ओत-प्रोत कर देता है। वह जहाँ भी रहता है वहाँ एक अलौकिक शान्ति और आनन्द की अनुभूति होती है क्योंकि वह सदैव किसी भी घटना या वस्तु के उज्जवल पक्ष को ही देखता है।
हिन्दी भाषी क्षेत्र में ललिता सहस्रनाम और श्री विद्या का प्रचार एवं प्रसार बहुत सीमित है, प्रस्तुत पुस्तक से पाठक माँ त्रिपुर सुन्दरी के अनुग्रह से लाभ उठायेंगे और उनको समझने में समर्थ होंगे। लौकिक तथा पारलौकिक जीवन की गतियों में सामंजस्य स्थापित करते हुए जीवन को उत्कृष्ट रूप में कैसे जीया जाये; यह विद्या इसी का निरूपण करती है। उनके चरणों में मेरा शतशः नमन है और उनकी वस्तु उन्हीं को समर्पित है।
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