Description
“योग का मानवताके लिए एक पूर्ण सन्देश है। योग का मानवशरीर के लिए सन्देश है। उसका मानव-मन और मानव-आत्मा के लिए भी सन्देश है। तो क्या सुबुद्ध और सुयोग्य युवक इस सन्देश को, केवल भारत के ही नहीं अपितु विश्व के एंडी सभी भागों के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचने के लिये आगे आवेंगे ?
स्वामी कुवलयानन्द
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