Yog Rahasy Arthat Yogi Ka Jeevan
₹180.00
NAME: | Yog Rahasy Arthat Yogi Ka Jeevan |
AUTHOR: | श्री नन्दलाल दशोरा (Sri Nandlal Dashora) |
LANGUAGE: | Sanskrit TEXT WITH Hindi TRANSLATION |
EDITION: | 2016 |
PAGES: | 155 |
COVER: | Paperback books |
OTHER DETAILS: | 8.5 INCH X5.5 INCH |
WEIGHT: | 225GM |
Availability: 2 in stock
Product Description
योग : भारत की एक महत्वपूर्ण खोज
योग रहस्य योगी का जीवन
भारत की योगविद्या एक ऐसी विद्या है जिसके विधिवत् उपयोग से शरीर को स्वस्थ व निरोग रखते हुए आत्मोन्नति करना भी सम्भव हुआ है। पश्चिम के भौतिकतावादी दर्शन ने मन एवं बुद्धि का विकास कर सम्पन्नता अर्जित की किन्तु आत्मा की उपेक्षा से वह मानसिक रुग्णता का शिकार हुआ। जिससे वह अशान्त व तनावग्रस्त रहा जबकि भारत ने अपना ध्यान आत्मा पर ही केन्द्रित रखा जिससे वह रोगी व भौतिक अभावों में ग्रस्त रहा।
इन दोनों के लिए योग साधना की आवश्यकता है। इन दोनों स्थितियों के कारण योग के भी दो रूप बन गये। पश्चिम वाले केवल अपनी मानसिक शान्ति के लिए योग की ओर आकर्षित हो रहे हैं तथा भारत में अपनी रोगमुक्ति के लिए ही योग करते हैं। इसका वास्तविक प्रयोजन तो ईश्वर प्राप्ति व आत्मानुभूति है, जिसे दोनों विस्मृत कर गये। आत्मज्ञान के लिए कोई योग नहीं करता। जो शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ हैं वह अशान्ति व तनावों में जी रहे हैं, इसकी मुक्ति के लिए वह योगा (Yoga) करते हैं इसलिए दोनों ही इसका सम्पूर्ण व सही उपयोग नहीं कर रहे हैं।
योग रहस्य अर्थात् योगी का जीवन यह पुस्तक पढ़कर आप इस विषय में अधिक जान सकें इसी उद्देश्य से सभी भारतीय ग्रन्थों से साररूप में प्राप्त की गई योगविषयक सामग्री का संकलन आपके हाथ में है।
योग का आरम्भ योग साधक की दिनचर्या
जीवन में योग की भूमिका योगी के लक्षण
योग साधना और पुरुषार्थ योग से आनन्द प्राप्ति
ध्यान समाधि योग साधना का फल
Weight | 0.225 kg |
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Dimensions | 21.5 × 14 × 1.2 cm |
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