Description
सोइ जानइ जेहि देहु जनाई
रब्बू जोशी
यह पुस्तक मेरे और आपके आराध्य पूज्य श्री महाराज के विराट स्वरूप के अंश मात्र को लिपि बद्ध करने का अंकिचित प्रयास है. ‘हरी अनन्त हरी कथा’अनन्ता को ध्यान में रखकर अनन्त का भाग जो मेरे हिस्से पड़ा है उस वर्णन करू ऐसा संकल्प लिया और प्रयास किया।
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