Description
प्रस्तुत ग्रंथ में हम प्राप्त करेंगे परशुराम जो अब तक केवल क्षत्रिये शत्रु शस्त्रधारी दुष्ट सहांरक आदि रूपों में ही जाने जाते हैं, उनके चरित्र में इसके अतिरिक्त भी की बिंदु और हैं, जिससे वे भगवान परशुराम की उपाधि से अलंकृत हुए इस ग्रंथ में उन अछुत्ते बिन्दुओ को जैसे परशुराम की पितृ भक्ति मातृ प्रेम इत्यादि सर्वोच्च कार्य किया है युगों के माध्यम से, वेदधर्म को स्थापित करने और फिर से स्थापित करने के लिए जो दुनिया की रोशनी के अलावा कुछ नहीं है, जो मानव जाति के कल्याण की ओर ले जाता है।
we will find Parashurama, who till now is known only in the forms of Kshatriya, enemy weapon, wicked Saharak, etc., there are more points in his character, from which he was decorated with the title of Lord Parshuram, in this treatise those untouchable points Such as Parshuram’s paternal devotion maternal love etc. have done supreme work through the ages, to establish and re-establish Vedadharma which is nothing but the light of the world, which leads to the welfare of mankind.
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