Description
श्रीनाथ गुप्त रहस्य
सिद्ध गोरख शाबर और नाथ अवधूत मन्त्र टोटके
अलख आदेश –
नाथ पंथ के योगी अपने इष्टदेव शिव को ‘अलख’ (अलक्ष) नाम से सम्बोधित करते हैं।
नाथयोगी अवधूत परस्पर अभिवादन हेतु ‘आदेश’ अथवा ‘आदीश’ शब्द का उपयोग करते हैं।
‘अलख’ और ‘आदेश’ शब्द का अर्थ प्रणव अथवा परम पुरुष होता है,
जो अभेद्य, अंतिम और परम सत्य है।
आ-आत्मा
दे=देवात्मा / परमात्मा
श= शरीरात्मा / जीवात्मा
आत्मा, परमात्मा और जीवात्मा की अभेदता ही अंतिम सत्य है। इस सत्य का अनुभव या दर्शन ही आदेश कहलाता है। जब नाथपंथी एक दूसरे का अभिवादन करते हैं तो’ आदेश-आदेश’ का उच्चारण करके जीवात्मा, परमात्मा और परम शुद्ध विश्वात्मा के तादात्म्य का ही स्मरण करते हैं।
गुरुमुख से प्राप्त एक अन्य रूप में ‘आदेश’ का अर्थ है= आदि+ईश। आदि से आशय है प्रथम या महान, और ईश का अर्थ है देवता अर्थात प्रथम देव महादेव। आदिनाथ भगवान शिव की धारा से उत्पन्न नाथ सम्प्रदाय के योगी’ आदेश’ सम्बोधन से सदैव शिव का ही सुमिरन करते हैं।
ॐ शिव गोरक्ष! ॐ शिव गोरक्ष ! ॐ शिव गोरक्ष!
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