Description
आदि काल से सतत प्रवाहमान आयुर्वेद की परिचयात्मक भूमिका जान सामान्य के समक्ष सरल सुबोध एवं व्यावहारिक भाषा में प्रस्तुत करना हमारा प्रयास है, ताकि आयुर्वेद का जन-साधारण को लाभ मिल सके। अभी तक आयुर्वेद से अधिकांश जनता के अनिभज्ञ होने का मुख्य कारण इसके ग्रंथों की भाषा में क्लिष्टता ही रही है जिसे दूर करने का प्रयास प्रस्तुत ग्रन्थ में किया गया है।
इसी अनभिज्ञता के कारण आज हमारा देश भी विज्ञान की अंधी दौड़ में शामिल है जो अपनी मूल भाषा और संस्कृति की असीम धरोहर को भूलकर विज्ञान के पीछे भाग रहा है। एक ही समय में सब कुछ हासिल करना चाहता है। फलतः न तो उसे जीवन की चिंता है और ना ही स्वास्थ्य की और न ही किसी प्रकार की आत्मिक प्रगति की इसी को दृष्टि में रखते हुए यह विषय तैयार किया गया है, जिसमे व्यक्ति की वास्तविक आयु उसकी यापन विधि और प्रकृति के साथ उसका साहचर्य सम्बन्ध तथा प्रकृति से उत्पत्ति एवं साधर्म्य किस प्रकार है, यह बताया गया है।
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